Opportunity for Sagittarius/Dhanu Lagna/Rasi Sadhaks to Attain Emancipation/Moksha

Opportunity for Sagittarius Lagna/Rasi Sadhaks to Attain Emancipation/Jivanmukti/Moksha
Period: From 3rd April 2025 to 15th April 2025

Yoga Description:
Mercury, the 10th Lord (Karmesh), will transit the 4th house (Sukhesh/Kendra) in Pisces and form a conjunction with four other planets: Sun, Rahu, Saturn, and Retrograde Exalted Venus. This planetary combination will aspect Ketu, forming Parivraja Yoga, which signifies an ascetic who attains emancipation (Jivanmukti in Sanskrit).

Pisces, the 12th sign in the Kal Purusha Kundli, corresponds to the 12th house, which indicates Moksha (liberation).

Explanation:

  1. Jivanmukta (Living Liberated Being):
    • “Jivan” means living, and “Mukta” means liberated or emancipated.
    • A Jivanmukta is someone who attains liberation (moksha) while still living in the physical body.
    • They transcend worldly attachments and the cycle of birth and death (samsara).
  2. Characteristics of a Jivanmukta:
    • Detachment from worldly pleasures.
    • Equanimity in both joy and sorrow.
    • Inner peace and bliss.
    • Lives in the world but remains unattached.
  3. Philosophical Basis:
    • In Advaita Vedanta, Jivanmukti is realizing the unity of Atman (self) with Brahman (the ultimate reality).
    • The ego is renounced, leading to identification with eternal truth.
  4. Final Liberation:
    • After physical death, a Jivanmukta attains Videhamukti, complete liberation from the material plane.

हिंदी में पुनः लिखित:

धनु लग्न/राशि के साधकों के लिए मोक्ष/जीवन्मुक्ति प्राप्ति का अवसर
अवधि: 3 अप्रैल 2025 से 15 अप्रैल 2025

योग विवरण:
बुध, जो कि कर्मेश (10वें भाव के स्वामी) हैं, 4th भाव (सुखेश/केंद्र) में मीन राशि में गोचर करेंगे। इस गोचर के दौरान सूर्य, राहु, शनि और वक्री एवं उच्च का शुक्र भी बुध के साथ युति में होंगे। यह योग केतु पर दृष्टि डालते हुए परिव्राज योग बनाएगा, जो संस्कृत में मोक्ष प्राप्त करने वाले तपस्वी (जीवन्मुक्त) को दर्शाता है।

मीन राशि काल पुरुष कुंडली की 12वीं राशि है, जो 12वें भाव का प्रतिनिधित्व करती है और मोक्ष का कारक मानी जाती है।

व्याख्या:

  1. जीवन्मुक्त (जीते जी मोक्ष प्राप्त):
    • “जीवन” का अर्थ है जीवित, और “मुक्त” का अर्थ है मोक्ष या स्वतंत्रता।
    • जीवन्मुक्त वह है जो शारीरिक रूप से जीवित रहते हुए मोक्ष प्राप्त करता है।
    • ऐसा व्यक्ति संसार के बंधनों और जन्म-मरण के चक्र से मुक्त होता है।
  2. जीवन्मुक्त के गुण:
    • सांसारिक सुखों से पूर्ण रूप से निर्लिप्त।
    • सुख और दुख में समभाव।
    • आंतरिक शांति और आनंद।
    • संसार में रहते हुए भी उससे बंधे नहीं रहते।
  3. दार्शनिक आधार:
    • अद्वैत वेदांत में, जीवन्मुक्ति आत्मा (आत्मन) और परम सत्य (ब्रह्म) की एकता का अनुभव है।
    • अहंकार का परित्याग कर शाश्वत सत्य में आत्मसात होना।
  4. अंतिम मुक्ति:
    • शरीर त्यागने के बाद, जीवन्मुक्त विहंगमुक्ति (शरीर से परे पूर्ण मुक्ति) प्राप्त करता है।

AUTHOR: ALOK SINGH, 9TH JAN 2025

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